अ+रथी = अरथी
इसी से मानव शारीर की तुलना करतें है एवं उपनिषद में भी कहा है की मनुष्य-शरीर रथ के सामन है।
इस रथ का स्वामी आत्मा है अर्थात मनुष्य-शरीर रथ पर आत्मा सवार है।
बुद्धि सारथी अर्थात् कोचवान है, मन लगाम है, इन्द्रियाँ घोड़े हैं।
इन्द्रियों के विषय वे मार्ग हैं, जिन पर इन्द्रियाँरूपी घोड़े दौड़ते हैं।
आत्मारूपी सवार अपने लक्ष्य तक तभी पहुँचेगा, जब बुद्धिरूपी सारथी मनरूपी लगाम को अपने वश में रखकर इन्द्रियाँरूपी घोड़ों को सन्मार्ग पर चलाएगा।
मनुष्य शरीर में आत्मा रथी है। जब आत्मा निकल जाती है, तब शरीर अरथी रह जाता है।
प्रस्तुति:- आर्य्य रूद्र
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