क्षण व कण की जीवन में महिमा।
क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत् ।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम् ॥
एक एक क्षण गवाये बिना विद्या पानी चाहिए;
और एक एक कण बचा करके धन ईकट्ठा करना चाहिए ।
क्षण गवानेवाले को विद्या कहाँ, और कण को क्षुद्र समजनेवाले को धन कहाँ ?