Sunday, October 8, 2017

भारत देश को बुलेट-ट्रेन(=तूर्णी)की नहीं, मंदिरों की आवश्यकता है ॥

भारत देश को बुलेट-ट्रेन(=तूर्णी)की नहीं, मंदिरों की आवश्यकता है ॥
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देखिये !!!!
१) वृंदावन में 300 करोड़ रुपये की लागत से श्री-कृष्ण जी के 213 मीटर ऊंचे चंद्रोदय-मंदिर का निर्माण इस्कॉन द्वारा किया जा रहा है जिसका निर्माण पूरा होने में पांच वर्ष लगेंगे |
ऐसा नहीं है की वृन्दावन में मंदिर(रों) की कमी है लेकिन जितनी बुलेट ट्रेन की निंदा/समीक्षा/आलोचना हुई उतनी इस मंदिर की नहीं हुई | उल्लेखनीय है कि इस मंदिर का शिलान्यास राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी जी ने किया था |
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२) बिहार के पूर्वी चम्पारण स्थित केसरिया में विराट रामायण मंदिर 500 करोड़ रूपये की लागत से बनाया जाएगा और जब तक इसका निर्माण पूर्ण होगा तब तक इसकी लागत बढ़ेगी ही
३) देश में ऐसे अन्य कई कई मंदिर करोड़ों की लागत से बनते रहते हैं जिनकी गणना ही नहीं है
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बुलेट-ट्रेन का विरोध करने वाले बतायें इन मंदिरों की उपयोगिता कितनी है ?
क्या ये मन्दिर आने वाले समय में रोहिंग्या या कासिम/गौरी के लिए बनाये जा रहे हैं ?
क्या हमें गुरुकुल, विद्यालय या गौ-शालाओं की आवश्यकता नहीं है ?
आवश्यकता है वेदपाठी ब्रह्मचारी, धर्म-रक्षक, विविध मतों के बीच तुलनात्मक अध्यन करने में कुशल, तर्कशील लोगों की फ़ौज बनाने की ताकि लव-जिहाद को रोका जा सके |
सोमनाथ मन्दिर के समय तो हिन्दुओं में केवल ज्योतिष/मुहूर्त ही एक बाधक थी लेकिन आज तो अधिकान्श हिन्दुओं के गले/बांह में ताबीज बंधा है, लगभग हर हिन्दू का माथा कबर के आगे झुकता है, हर हिन्दू कहता है "सब धरम समान/अच्छे हैं" ऐसी विचारधारा हो तो फिर 'ये मन्दिर कभी किसी के हाथों नहीं लूटेंगे' इस अति-विश्वास में मत बैठिएगा
विचार करें
धन्यवाद
विदुषामनुचर
विश्वप्रिय वेदानुरागी