॥ओ३म्॥
वेद की नित्यता (ETERNITY) का परम् प्रमाण
*सत्यम शिवं शाश्वतम्* यानी आज की भाषा में प्रसिद्ध सिद्धांत *survival of the fittest* अर्थात जो वस्तु सबसे अधिक उपयोगी है वह उस समय भी जीवित रहती है जब अन्य अनुपयोगी या कम उपयोगी वस्तुएं नष्ट हो जाती है । आप 100 rs के नॉट की सेर भर मिठाई की अपेक्षा से अधिक रक्षा करते हैं क्यों कि नोट मिठाई की अपेक्षा से अधिक उपयोगी है । कुदरत अर्थात सृष्टि नियम भी उसी वस्तु की अधिक रक्षा करती है जो योग्यतम होती होती है । वेद सबसे पुराने है ।लाखों ग्रन्थ बने और नष्ट हो गए । हज़ारों धर्मशास्त्र बने और लुप्त हो गए । परन्तु इतने पुराने होते हुए भी वेद विद्यमान है । इस से ज्ञात होता है कि वेद योग्यतम ग्रन्थ हैं । योग्यतम न होते तो इस नियम से कभी के नष्ट हो गए होते । इनका पुराना होना ही इनकी योग्यता तथा उपयोगिता का प्रमाण है । दीर्घकाल में भिन्न भिन्न देशों में सैंकड़ों मत मतांतर और धर्मशास्त्र बने और बिगड़ गए । कराल काल के थपेड़ों से बचे रहना बताता है की कुदरत वेदों की रक्षा करती है । जैसे सैंकड़ों तूफ़ान जिन से बड़े बड़े मनुष्य निर्मित दीपक बुझ जाते हैं किन्तु सूर्य को नही बुझा सकते इसी प्रकार वेद भी है ।
- लेखनी सम्राट पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय