Wednesday, August 22, 2018

कविता


इण्डिया ले गया आजादी को, बंदी अभी तक भारत है , 
बिगड़ चुकी है भाषा, भूषा, चरित्र हुआ यहाँ गारत है !
श्रम को तो सम्मान नही, माँड़लिगं पर ईनाम मिले ,
इतिहासकारो ने गुल खिलाये, देशभक्त गुमनाम मिले !
धुल भरा हीरा है भारत, इण्डिया रहे आसमानों में ,...
भारत के तन पर फटे चीथड़े, इण्डिया विदेशी परिधानों में 
देह प्रदर्शन करती नारी, ऋषि संस्कृति का कर उपहास 
काम शिक्षा की वकालत कर शिक्षा का किया सत्यानाश !
चील और कव्वे का भोजन खाने लगे इण्डिया के लोग 
धर्म मोछ सब छूट गये सबको लगा पैसे का रोग !
भारत लड़ता आतंकवाद से, इण्डिया करता समझोते ,
यदि समय पर जाग जाते तो, पाक के मालिक हम होते !
वह देश धरा से मिट जाता है, भूले जो अपने बलिदान ,
निज सस्कृति भाषा-भूषा का, जिसको नही तनिक अभिमान !
इसिलिय कहता हूँ सुन लो , ओं इण्डिया के मतवालों ,
भारत को भारत रहने दो, घर में विषधर मत पालो !
युगों - युगों से चलती आई , धारा कभी न सूखेगी ,
ऋषि संस्कृति के हत्यारों ! फिर पीढ़ी तुम पर थुकेगी !! :- Ami Arya

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