Thursday, April 26, 2018

सन्यासी की पहचान ॥


एक सन्यासी की पहचान॥

जगह जगह सच्चे सन्यासी की खोज में एक बार स्वामी दयानंद सरस्वती जी की एक महन्त से भेंट हुई, महन्त स्वामी जी के तेज को देखकर उन पर लट्टू हो गया, उसने 
कहा, "यदि आप हमारे शिष्य हो जाइए तो हम आप को अपनी गद्दी का मालिक बना देंगे, आपको हाथ में लाखो रुपये की जायदाद हो 
जायेगी, आप महन्त कहलाइयेगा, सैंकड़ो आदमी आपकी सेवा में हाजिर रहेंगे, और जन्मभर आप आनंद से जीवन बिताएंगे. "

इस पर स्वामी जी ने हंसकर उत्तर दिया,

भाई मेरे पिताजी की जायदाद आपकी जायदाद से कई गुना बड़ी है, जब मैं उसे लात मार कर चला आया हूँ तो आपकी जायदाद को मैं 
क्या समझता हूँ। आप न स्वयं ठीक रास्ते पर चलते है और न दुसरों को चलने देते है। चेला बनना तो दूर रहा मैं एक दिन भी आपके साथ 
नहीं रह सकता. -केदारनाथ गुप्त।

इस लेख में कई बाते छुपी है, पढ़कर अच्छा लगा।

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