प्रभु नाम के अमृत रस का जो प्राणी पान करेगा-२
उसकी बुद्धि को निर्मल-२ निश्चय भगवान करेगा।
प्रभु नाम के अमृत रस का जो प्राणी पान करेगा।
जो सुबह शाम निज मन से भगवान पे ध्यान लगाये।-२
ह्रदय रूपी शीशे का सब जमा मैल धुल जाये।
सत्संग ज्ञान गन्गा में-२ मल-मल स्नान करेगा।
प्रभु नाम के अमृत रस का जो प्राणी पान करेगा।
प्रभु सत्य न्याय करता है ऐसा उसको पहचाना-२
कण-कण रमा है प्यारा नहीं उसका एक ठिकाना।-२
फिर परमेश्वर से दोखा-२ न कोई इन्सान करेगा।
प्रभु नाम के अमृत रस का जो प्राणी पान करेगा।
विषयो से मन हट जाये कर जाएँ व्यसन किनारा-२
शुभ कर्म में लगन लगा ले यदि चाहे तू निस्तारा-२
जैसा कोई कर्म करेगा-२, वैसा भुक्तान करेगा।
प्रभु नाम के अमृत रस का जो प्राणी पान करेगा।
सारे जीवन का लेखा जब देखेगा न्यायकारी-२
शुभ-अशुभ कर्म सब तेरे आयेंगे सभी अगारी-२
राघव वही पार हुआ-२, जो ना अभिमान करेगा।
प्रभु नाम के अमृत रस का जो प्राणी पान करेगा।
उसकी बुद्धि को निर्मल-२ निश्चय भगवान करेगा।
प्रभु नाम के अमृत रस का जो प्राणी पान करेगा।
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